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Thursday, June 24, 2021

If you want ti  live a happy life, tie it to a goal not to people or things

 
         *समः शत्रौ च मित्रे च तथा मानापमानयोः।
         शीतोष्णसुखदुःखेषु समः सङ्‍गविवर्जितः॥* 
 _अध्याय 12, श्लोक 16_ 
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 भावार्थ: 
 जो शत्रु-मित्र में और मान-अपमान में सम है तथा सर्दी, गर्मी और सुख-दुःखादि द्वंद्वों में सम है और आसक्ति से रहित है॥ 
सुप्रभातम् 🌅 

 🕉श्री कृष्णम शरणमम् 🕉 

           *अनपेक्षः शुचिर्दक्ष उदासीनो गतव्यथः।
            सर्वारम्भपरित्यागी यो मद्भक्तः स मे प्रियः॥* 
 _अध्याय 12, श्लोक 14_ 
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 भावार्थ: 
 जो पुरुष आकांक्षा से रहित, बाहर-भीतर से शुद्ध चतुर, पक्षपात से रहित और दुःखों से छूटा हुआ है- वह सब आरम्भों का त्यागी मेरा भक्त मुझको प्रिय है॥ 
 
 🕉 वसुधैव कुटुम्बकम 🕉 
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