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Monday, July 26, 2021
Saturday, June 26, 2021
Friday, June 25, 2021
Thursday, June 24, 2021
@mak_mukund#shrinathji, #rajsamand, India, #teerth, temple of da world. #world tourism center.. Watcher📨😕🍁🥂hva a GOOD Day. Miss uh thakurji. miss uh ❤ miss uh frndz accepted all sorries. luv. frnds forever.
gratitude.
🤨gif everyone has perfect👍💯 to good. https://media.tenor.co/images/bd453caee010b3dd6974e6dfeadd9d7a/tenor.gif🌝🌝🌝🌝🌝🌝🌝
If you want ti live a happy life, tie it to a goal not to people or things
Wednesday, June 23, 2021
🥺✍
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Tuesday, June 22, 2021
Wednesday, June 2, 2021
“समझदार व्यक्ति खुद गलतियां नही करता है, बल्कि दुसरो की गलतियों से जीवन की सच्चाई परख लिया करता है।”
बेहतर भविष्य के लिए भारत को बड़े बंदरगाहों की जरूरत...!
महामारी ने साबित किया है कि लॉजिस्टिक और सप्लाई चेन किसी भी देश के लिए कितने महत्वपूर्ण होते हैं। जरूरी सामान से लेकर दवाओं और वैक्सीन तक, लॉजिस्टिक की अहम भूमिका रही है। इसी लॉजिस्टिक का ही अहम हिस्सा हैं हमारे बंदरगाह। महामारी का सबक यह भी है कि हमें बंदरगाहों को भविष्य के लिए तैयार करना होगा और दूसरे देशों पर अपनी निर्भरता को कम करना होगा। सरकार ने भी मैरीटाइम इंडिया विजन 2030 तय किया है।
इस दिशा में और भी कदम उठाए जाते रहे हैं। जैसे प्रमुख बंदरगाहों के टैरिफ प्राधिकरण (टीएएमपी) की शक्तियां कम करने और इसके बजाय उन शक्तियों को पोर्ट ट्रस्टों को सौंपने के लिए 2016 में मेजर पोर्ट्स ट्रस्ट एक्ट, 1963 में महत्वपूर्ण संशोधन प्रस्तावित किया गया था। वहीं प्रमुख बंदरगाह प्राधिकरण अधिनियम 2021 (जिसने 1963 अधिनियम की जगह ली) केंद्र सरकार के स्वामित्व वाले बंदरगाहों (मुंबई, चेन्नई, कोलकाता, आदि) को नियंत्रित करता है, उनमें से कई के पास निजी क्षेत्र का स्वामित्व व कुछ टर्मिनलों का संचालन है।
प्रमुख बदंरगाहों के टर्मिनलों के निजी निवेशक लंबे समय से उद्योग में समान स्तर पर काम की मांग करते रहे हैं। चुनौती यह है कि समय के साथ, प्रमुख बंदरगाहों में टर्मिनलों का एकाधिकार समाप्त हो गया, और कार्गो के लिए अन्य बंदरगाहों और टर्मिनलों के साथ प्रतिस्पर्धा करना शुरू कर दिया। नए मॉडल में ऑपरेटरों को अपने राजस्व का एक हिस्सा पोर्ट ट्रस्ट के साथ साझा करना जरूरी था, जबकि टैरिफ स्तर सीमित कर दिया गया।
दूसरा कारण है कि प्रमुख बंदरगाहों और छोटे बंदरगाहों के बीच का अंतर कम प्रासंगिक हो गया है। साथ ही, मौजूदा अधिनियम इस क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण सफलता जरूरतों को पूरी तरह संबोधित नहीं करते हैं। जैसे, टीएएमपी के पास केवल टैरिफ का अधिकार क्षेत्र है, जबकि अन्य नियामक कार्य सरकार और पोर्ट ट्रस्ट के पास हैं। वहीं बंदरगाहों तक सुगम सड़क और रेल पहुंच बड़ी बाधा रही है। उद्योग की संरचना को फिर आकार देने में, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के भविष्य के लिए तैयार करने में कुछ बिंदु महत्वपूर्ण हो सकते हैं।
पहली, भारत को कुछ वैश्विक स्तर के बंदरगाहों की जरूरत है। भारत में दुनिया के शीर्ष 20 बड़े बंदरगाहों में से एक भी नहीं है। कई छोटे बंदरगाह विकसित करने से समय और लागत बढ़ती है। हमें तय करना होगा कि किन जगहों पर एक वर्ष में 100 मिलियन टन कार्गो से ज्यादा की क्षमता है। साथ ही ऐसे बड़े बंदरगाह भी पहचानने होंगे जो भविष्य में प्रासंगिक नहीं रहेंगे।
जैसे मुंबई व चेन्नई बंदरगाहों के पास घने शहर हैं और इनके लिए न्हावा शेवा व एन्नोर में विकल्प विकसित किए गए हैं। भारत को बड़े जहाजों के लिए भी एक या दो लोकेशन खोजनी होंगी। इस तरीके की सफलता के लिए लॉजिस्टिक्स कंपनियों को संपूर्ण लॉजिस्टिक्स चेन संचालित करने में सक्षम बनाने की जरूरत है।
भारतीय उद्योग को अब भविष्य की तैयारी की ओर जाना जरूरी है। मैरीटाइम इंडिया विजन 2030 की सफलता निवेशकों का आत्मविश्वास मजबूत करने में है कि केंद्र व राज्य की नीतियां प्रतिस्पर्धी परिदृश्य में उनकी मदद करेंगी। इसके लिए एक नियामक ढांचे की आवश्यकता होगी जिसमें स्थिरता और लचीलापन दोनों हो।
@Mdmaaraj:_“लोग आपके आइडिया को ग़लत बताते है तो आपकी ज़िम्मेदारी है की इसे सही साबित करके दिखाए! ”
Monday, May 31, 2021
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